क्या एलियन प्राणी ह्यूमनॉइड ही होते हैं? — एक वैज्ञानिक विमर्श
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क्या एलियन प्राणी ह्यूमनॉइड ही होते हैं? — एक वैज्ञानिक विमर्श

क्या एलियन प्राणी ह्यूमनॉइड ही होते हैं? — एक वैज्ञानिक विमर्श

परिचय
जब भी भूतप्रेत, परग्रही (एलियन) या अन्य अलौकिक प्राणियों की कल्पना की जाती है, प्रायः उनका स्वरूप ह्यूमनॉइड — यानी मानवसदृश — ही होता है। चाहे वह हॉलीवुड की साइंस फिक्शन फिल्में हों या लोककथाएं, अधिकतर में इन प्राणियों को दो पैरों, दो हाथों और सिर वाले शरीर के रूप में दिखाया गया है। आखिर ऐसा क्यों है? क्या इसके पीछे कोई गहरा वैज्ञानिक कारण छुपा है?

ह्यूमनॉइड शब्द की उत्पत्ति और अर्थ
ह्यूमनॉइड’ शब्द लैटिन के humanus (मानव) शब्द से बना है, जिसमें ग्रीक का प्रत्यय -oid जोड़ा गया है, जिसका अर्थ होता है — के समान। अर्थात, ह्यूमनॉइड उन प्राणियों को कहा जाता है जिनकी शारीरिक रचना मानव के समान हो: दो पैर, दो हाथ और धड़ के ऊपर सिर। इनके संवेदी अंग भी मानवजैसे ही होते हैं — जैसे दो आंखें, नाक, मुंह और कान।

हालांकि, ह्यूमनॉइड होने का अर्थ यह नहीं कि वे पृथ्वी के मानवों की तरह जैविक रूप से समान भी हों। यह शब्द मात्र बाह्य आकारप्रकार के संदर्भ में प्रयुक्त होता है।

एलियन प्राणियों में ह्यूमनॉइड स्वरूप का वर्चस्व

जब वैज्ञानिक या लेखक एलियन प्राणियों का वर्णन करते हैं, तो उनका स्वरूप प्रायः ह्यूमनॉइड बताया जाता है। हो सकता है कि ब्रह्मांड में अन्य प्रकार के एलियन भी मौजूद हों, लेकिन उनके बारे में हमारे पास अभी पर्याप्त प्रमाण या विवरण नहीं हैं।

ह्यूमनॉइड स्वरूप के पीछे संभावित कारण

प्रश्न उठता है कि क्या ह्यूमनॉइड आकृति किसी भी बुद्धिमान जीवन के विकास के लिए एक आदर्श प्रारूप है? क्या दो पैरों से सीधे चलने की क्षमता, लचीले हाथों से कार्य करने की दक्षता और सिर में संवेदी अंगों का केंद्रीकरण विकास की एक सार्वभौमिक दिशा है?

शायद यह संरचना किसी भी उन्नत तकनीकी सभ्यता के लिए व्यावहारिक और अनुकूल साबित होती है, चाहे वह पृथ्वी पर हो या किसी दूरस्थ ग्रह पर।

क्या ह्यूमनॉइड विकास के पीछे कोई यूनिवर्सल जीन है?

यदि विभिन्न ग्रहों पर जीवन स्वतंत्र रूप से विकसित हुआ है और फिर भी वे ह्यूमनॉइड स्वरूप अपनाते हैं, तो यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कहीं न कहीं इस विकास के पीछे कोई सार्वभौमिक जीन (Universal Gene) या प्राइमरी सोर्स मौजूद हो सकता है।

संभव है कि उल्कापिंडों, धूमकेतुओं या किसी अन्य अंतरिक्षीय माध्यम से यह जीन ब्रह्मांड के विभिन्न हिस्सों में फैला हो। इसके अतिरिक्त, यह भी कल्पना की जा सकती है कि किसी अत्यधिक उन्नत एलियन सभ्यता ने इस जीन को जानबूझकर ब्रह्मांड में प्रसारित किया हो।

ह्यूमनॉइड जीन : एक ब्रह्मांडीय संपदा?

यदि ह्यूमनॉइड जीन वाकई कोई सार्वभौमिक तत्व है, तो क्या इसे ब्रह्मांडीय विरासत (Universal Heritage) के रूप में संरक्षित रखना चाहिए? हो सकता है कि अत्यधिक उन्नत सभ्यताएं इस रहस्य को जान चुकी हों और इसे संरक्षित रखने का दायित्व निभा रही हों।

पृथ्वी पर हम जानते हैं कि अरबों प्रकार के जीन पाए जाते हैं, किंतु मानवीय जीन की विशिष्टता अब तक अन्य प्राणियों में उत्पन्न नहीं हो सकी है। यह भी दर्शाता है कि मानव जैसा बुद्धिमान जीवन बनना कितना जटिल और दुर्लभ है।

विज्ञान कल्पनाओं में ह्यूमनॉइड एलियन

आज की अनेक साइंसफिक्शन फिल्मों और धारावाहिकों में ह्यूमनॉइड एलियन का चित्रण किया गया है। स्टार ट्रेक, अवतार जैसी फिल्मों में इन्हें सहजता से देखा जा सकता है। परंतु यदि वास्तव में ऐसे एलियन स्वतंत्र रूप से विकसित हुए हैं, तो उनके आनुवंशिक कोड पृथ्वी के डीएनए से पूर्णतः भिन्न होंगे। मनुष्यों के समान आनुवंशिकी का स्वतः विकास खगोलीय स्तर पर अत्यंत अल्प संभाव्यता वाला घटनाक्रम है।

ह्यूमनॉइड एलियंस की अवधारणा वैज्ञानिक, दार्शनिक और कल्पनाशीलता के संगम पर खड़ी है। यह विषय जितना रोमांचक है, उतना ही अनसुलझा भी। आने वाले समय में वैज्ञानिक खोजें शायद इन रहस्यों पर से कुछ परतें हटा सकें। तब तक यह प्रश्न बना रहेगा कि क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं, और यदि नहीं — तो हमारे जैसे ही कौन और कहाँ हैं? / नेह अर्जुन इंदवार 

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