NehNews Network

जनगणना में होंगी जाति के लिए कॉलम!

जनगणना में होंगी जाति के लिए कॉलम!

  • देश में जाति जनगणना की मांग काफी दिनों से की जा रही है। चुनाव में जाति जनगणना इंडिया गठबंधन का चुनावी वादा था। अब सरकार ने संकेत दिया है कि वह जनगणना के कागजातों में जाति का कॉलम जोड़ सकती है। इसकी मांग विपक्षी पार्टी कांग्रेस के साथ भाजपा की सहयोगी जदयू-लोजपा ने भी उठाई थी। प्रत्येक दशक में देश में जनगणना कराई जाती है और 2021 में भी जनगणना होनी थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे नहीं किया गया।
  • केंद्र सरकार जनगणना के दौरान जाति का कॉलम जोड़ने पर विचार कर रही है। इसकी मांग देश के कई भागों में की जा रही थी। कांग्रेस और विपक्षी दलों के साथ-साथ केन्द्र में सरकार बनाने में भाजपा को सहयोग देने वाली बिहार केन्द्रित पार्टियां, जदयू और लोजपा, भी जाति आधारित जनगणना की मांग कर रही हैं। सरकारी सूत्रों ने सोमवार को बताया कि राजनीतिक दबाव के कारण सरकार इस पर विचार कर सकती है। जनगणना हर 10 साल में होती है, और आखिरी बार 2011 में हुई थी।
  • जाति जनगणना पर विभिन्न पक्षों का दृष्टिकोण:
  • केंद्र सरकार: जब महाराष्ट्र में पिछड़े नागरिकों (बीसीसी) का डेटा एकत्र करने के लिए उद्धव ठाकरे सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, तब केंद्र सरकार ने इसे सरकार के स्तर पर ली जाने वाली नीतिगत मामला बताते हुए कहा था कि अदालतों को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। प्रशासनिक दृष्टि से जाति जनगणना कराना चुनौतीपूर्ण और अव्यावहारिक होगा।
  • विपक्षी दल: कांग्रेस, बीजद, सपा, राजद, बसपा, राकांपा सहित कई विपक्षी दल जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं। हालांकि, टीएमसी का रुख स्पष्ट नहीं है। राहुल गांधी ने हाल ही में अमेरिका दौरे पर जाति जनगणना का समर्थन किया था।
  • एनडीए: भाजपा ने जाति जनगणना का समर्थन नहीं किया है और विपक्षी दलों पर आरोप लगाया है कि वे जाति जनगणना के माध्यम से देश को विभाजित करने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, बिहार में भाजपा ने इसका समर्थन किया है। एनडीए के सहयोगी दल जैसे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, निषाद पार्टी, अपना दल, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर, पीएमके, लोजपा और जदयू भी जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: कांग्रेस जाति जनगणना की बात कर रही है, जो एक नक्सली विचारधारा है। कांग्रेस समाज को जाति के आधार पर विभाजित करने का पाप कर रही है। हमारे लिए प्राथमिकता गरीबों को उनका हक दिलाना है, क्योंकि यही देश की सबसे वंचित आबादी है।
  • राहुल गांधी: भारत के दलितों, ओबीसी और आदिवासियों को उनका हक नहीं मिल रहा है। देश की 90% आबादी वाले ओबीसी, दलित और आदिवासी जाति जनगणना से बाहर हैं। यह जातियों की स्थिति जानने का एक प्रभावी तरीका है।
  • महत्वपूर्ण सवाल:
Untitled-design-20 जनगणना में होंगी जाति के लिए कॉलम!
  • जनगणना कब होगी? कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, जनगणना सितंबर में शुरू हो सकती है, लेकिन सरकार ने इसकी पुष्टि नहीं की है। जनगणना को पूरा होने में करीब दो साल लगेंगे, जिससे नतीजे 2026 तक आने की संभावना है।
  • कानूनी संशोधन की जरूरत: जातियों की गिनती के लिए जनगणना अधिनियम 1948 में संशोधन की आवश्यकता होगी। इस अधिनियम में एससी-एसटी की गिनती का प्रावधान है, लेकिन ओबीसी की गिनती के लिए बदलाव करने होंगे। इससे ओबीसी की 2,650 जातियों का डेटा सामने आएगा। 2011 की जनगणना के अनुसार, मार्च 2023 तक 1,270 एससी और 748 एसटी जातियां थीं। 2011 में, एससी की आबादी 16.6% और एसटी की 8.6% थी।
  • ब्रिटिश राज के जमाने में जाति की जनगणना होती थी। लेकिन देश की आजादी के बाद इसे विभिन्न कारण बताते हुए बंद कर दिया गया। 1881 में पहली बार भारत में जनगणना हुई थी, जिसमें जातियों की गिनती भी शामिल थी। 1931 तक जातियों की गणना होती रही। 1941 में जाति जनगणना तो हुई लेकिन उसके आंकड़े सार्वजनिक रूप से जारी नहीं किए।

Share this content:

Post Comment

You May Have Missed

error: Content is protected !!
Skip to content