बगानियारों को चाहिए जमीन खतियान का अधिकार
नेह अर्जुन इंदवार
सम्मानजनक जीवन जीने के लिए बगानियारों को चाहिए अपने घर भिट्ठा जमीन का अधिकार
बगानियारों का घर भिट्ठा औसतन 15 Decimal का है। वास्तविक रूप से वे भूमिहीन नहीं है। बल्कि जिस जमीन पर वे 150 वर्षों से रहते आए हैं, उस जमीन पर उन्हें ऐतिहासिक, सामाजिक, संवैधानिक, कानूनी रूप से कब्जा का अधिकार प्राप्त है। तकनीकी रूप से उनके पास उन जमीन की सरकार द्वारा जारी खतियान नहीं है। पिछले 10 सालों से वह सरकार से खतियान देने की ही मांग कर रहे हैं। सरकार द्वारा रीतिपूर्वक खातियान जारी किए जाने पर बगानियार परिवार अपने घर भिट्ठा की जमीन और उस पर हुए निर्माण को भारतीय कानून के अनुसार उसे वसीयत, सम्पत्ति का हिस्सा बना कर अपने बच्चों को हस्तांतरित कर सकता है। कानूनी खतियान मिलने पर ही 150 सालों से कब्जा किए हुए जमीन पर परिवार का मालिकाना हक स्थापित होगा। भारतीय कानून ऐसे मामलों पर जाँच पड़ताल करके खतियान जारी करता है। उन्हीं कानूनी प्रावधानों के तहत बगानियारों को भी अपने जमीन का खतियान पाने का अधिकार है।
एक बार खतियान अपने नाम हो जाने तथा उसे प्राप्त कर लेने के बाद बागान मालिक सहित कोई भी अन्य उसे हथियाने की कोशिश नहीं करेंगे। तब परिवार शांति के साथ विकास योजनाओं को अपने हित में क्रियन्वयन कर सकेगा। समाज में जमीन खतियान के मालिक का मान सम्मान और कानूनी हैसियत भूमिहीन व्यक्ति से अधिक होता है। उसके पास एक सम्पत्ति होता है और उसे आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त होती है।
बगानियारों के अनेक संगठन सरकार से बगानियारों की पूरी जमीन का कानूनी रूप से मान्य खतियान मांग रहे हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार पिछले साल 1 अगस्त को बगानियारों को सिर्फ 5 decimal जमीन बाँटने का नोटिफिकेशन निकाला है था, जिसका बगानियारों के तमाम संगठनों ने एक स्वर से विरोध किया है। लोकसभा चुनाव के पूर्व पश्चिम बंगाल सरकार के स्थानीय शासन सत्ताधारी पार्टियों के सहयोग से बगानियारों को बलपूर्वक 5 decimal जमीन देने पर अड़ी हुई थी और इसके लिए पुलिस का सहारा भी लिया गया। अनेक जगहों में इसके लिए पट्टा बाँटा गया। लेकिन देखा गया कि वितरित किए गए जमीन पट्टे में जमीन संबंधी अनेक विवरण दर्ज ही नहीं हुए हैं। बिना आवश्यक विवरण के जमीन के पट्टे बाँटे गए, जो कानूनी रूप से मान्य नहीं है। ऐसे पट्टे बगानियार परिवार के भविष्य के लिए लाभ जनक नहीं है और यह भविष्य में उनके लिए हानिकारक साबित होंगे। बगानियारों ने कभी भी 5 डेसीमल जमीन की मांग नहीं की थी, बल्कि वे जिस जमीन पर सौ वर्ष से अधिक समय से रह रहे हैं, वे उसके खतियान की मांग सरकार से किए थे। जानकार लोगों का कहना है कि सरकार गलत ढंग से एक लोकप्रिय मांग को हैंडल कर रही है और बगानियारों की मांग को गलत तरीके से पूरा करना चाहती है।
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