राष्ट्रपति का बयान और राष्ट्रपति शासन का कयास
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि वह बंगाल की घटना से निराश हैं और डरी हुई हैं। उनके इस बयान पर कई प्रकार के कयास लगाए जा रहे हैं। राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने बयान में कहा कि वे इस भयावह घटना से बेहद निराश और चिंतित हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अब अत्याचार की सीमाएं पार हो चुकी हैं और यह समय है कि हम महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर गंभीरता से विचार करें। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि समाज को अब ईमानदार और निष्पक्ष आत्मावलोकन की आवश्यकता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कोई भी सभ्य समाज अपनी बेटियों और बहनों पर इस तरह के अत्याचारों को सहन नहीं कर सकता। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि जब कोलकाता में छात्र, डॉक्टर, और नागरिक इस घटना के विरोध में सड़कों पर हैं, तब भी अपराधी अन्य जगहों पर अपनी बुरी नीयत का शिकार ढूंढ रहे हैं।
कुछ पर्यवेक्षक राष्ट्रपति के इस बयान को सरकार में चल रहे विचार मंथन के संकेत के रूप में ले रहे हैं। देश की हालातों पर राष्ट्रपति का बयान अप्रत्याशित नहीं है। हर राष्ट्रपति देश की हालातों पर अपने बयान जारी करते है। बंगाल में बलात्कार और हत्या को लेकर जितनी ऊंची आवाज़ निकल रही है। वैसी आवाज़ अभूतपूर्व नहीं तो कम से कम हाल के वर्षों में इतना विरोध का मंजर भी नहीं देखा गया था। कई लोग ने यह भी सवाल उठा रहे हैं कि राष्ट्रपति ने मणिपुर के हालातों पर या बीजेपी शासित राज्यों में हुए जघन्य कांडों पर ऐसा बयान जारी क्यों नहीं किया? कोलकाता में विरोध रैलियों को जिस तरीके से रोका गया और उससे निपटने के लिए जिस स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था खड़ी की गई थी, उस पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। देश में अमन शांति रहे और सभी नागरिकों को स्वतंत्र रूप से जीने के अवसर मिले। यह संविधान सहित सभी सरकारें चाहती हैं।
मुख्य सवाल यह है कि राष्ट्रपति का बयान किसी राजनैतिक घटनाक्रम का संकेत है या उन्होंने सिर्फ रूटीन रूप से बयान दिया है। यह तथ्य है कि बीजेपी बंगाल की राजनीति में उथल-पुथल मचाने का कोई अवसर हाथ से जाने नहीं दे रही है। विपक्ष के रूप में वह जो कुछ भी कर सकती है, कर रही है। इसके अलावा वह राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग भी कर रही है और राज्य में सृजित असंतोष को वह ममता सरकार के बर्खास्ती के लिए मकूल कारण बता रहे हैं। हाल के वर्षों में राज्य सरकारों को बरखास्त करके राष्ट्रपति शासन लगाने की घटनाएँ नगण्य रूप से सामने आईं हैं। ऐसे में यदि ममता सरकार को बरखास्त करने की कोई योजना बीजेपी सरकार बना रही है तो यह बंगाल जैसे राज्य के लिए अभूतपूर्व होगी और इसके बहुत दूरगामी नतीजे होंगे। यह देखना दिलचस्प होगी कि ममता सरकार इस राजनैतिक दबाव से कैसे निपटती है।
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