सरकारी बुलडोजर ध्वस्तीकरण पर सर्वोच्च न्यायालय का रोक
सरकारी ताकत और प्राधिकरण को खुले सांड़ की तरह किसी को भी रौंदने के लिए आरोपी के सम्पदा को बुलडोजर से मटियामेट कर देने की हालिया प्रशासनिक निर्णयों पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने आज देशभर में 1 अक्टूबर तक बुलडोजर से सभी ध्वस्तीकरण कार्यों पर पूरी तरह रोक लगाने का आदेश दिया है। न्यायलय ने आदेश दिया है कि बुलडोजर का उपयोग केवल सार्वजनिक सड़कों, जल निकायों या रेलवे लाइनों पर किए जाने वाले ध्वस्तीकरण के लिए किया जा सकता है, किसी आरोपी के व्यक्तिगत सम्पदा पर नहीं।
न्यायालय ने कहा कि वह ऐसे दिशा-निर्देश तैयार करेगा, जो कानून के अनुसार होंगे, जिससे यह तय होगा कि निजी संपत्ति पर बुलडोजर का इस्तेमाल कैसे और कब किया जा सकता है।
फोटो – साभार टाईम्स ऑफ इंडिया
पिछले सप्ताह, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय, सुधांशु धूलिया और एसवीएन भट्टी की एक पीठ ने “बुलडोजर न्याय” की प्रथा की आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि एक कानून के शासन वाले देश में इस तरह की ध्वस्तीकरण की धमकियाँ स्वीकार्य नहीं हैं।
यह मामला गुजरात से जुड़ा था, जहाँ नगरपालिका अधिकारियों ने एक परिवार के घर को ध्वस्त करने की धमकी दी थी। उस परिवार के एक सदस्य का नाम एफआईआर में दर्ज था। खेड़ा जिले के कथलाल का सह-मालिक, जो इस धमकी का सामना कर रहा था, सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा। उसके वकील ने कहा कि यह परिवार बीस साल से ज्यादा समय से इस घर में रह रहा है।
अदालत ने अपने फैसले में नगर निगम अधिकारियों की कार्रवाई की कड़ी आलोचना की। न्यायालय ने कहा कि कानून का पालन करने वाले देश में, किसी एक सदस्य के गलत आचरण के आधार पर पूरे परिवार या उनके कानूनी घर को दंडित नहीं किया जा सकता। किसी अपराध में शामिल होने का आरोप संपत्ति को ध्वस्त करने का कारण नहीं हो सकता।
न्यायमूर्ति भूषण आर. गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि मनमाने ढंग से किए जा रहे विध्वंस को रोकने के लिए स्पष्ट और राष्ट्रीय स्तर पर दिशा-निर्देश बनाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, “हम ऐसे व्यापक दिशा-निर्देश तैयार करने पर विचार कर रहे हैं ताकि कल कोई भी बिना कारण बुलडोजर का उपयोग न कर सके। यह प्रक्रिया को नियमों के अनुसार करने के लिए जरूरी है ताकि कोई कानूनी खामी न रह जाए। नोटिस देना, जवाब देने का समय देना और विध्वंस से पहले कानूनी उपायों का अवसर देना इन दिशा-निर्देशों का हिस्सा होना चाहिए। हमारा लक्ष्य इस मुद्दे को पूरे देश के लिए हल करना है।
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