139000 साल पुराने औजार
आंध्र प्रदेश के रेतलापल्ली में मिले, आधुनिक शिल्प से मिलते-जुलते, हथियार निर्माताओं की पहचान रहस्य बनी हुई है।
इतिहास के पन्नों में अभी भी अत्यंत प्राचीन काल के इतिहास पर पूरा प्रकाश नहीं फैल सका है। 10 हजार वर्ष से लेकर 1 लाख वर्ष तक के इतिहास पर मानव सभ्यता का इतिहास विभाग फिलहाल अंधेरे में ही हाथ पैर मार रहा है। अनुमान जाहिर किया गया है कि Homo Sapiens के प्रादुर्भाव के पूर्व 1.9 मिलियन वर्ष पूर्व के काल खंड में Homo erectus पृथ्वी के विभिन्न भागों में विचरण करते थे। लेकिन सटीक जीवाश्म अभिलेखों के अभाव के कारण पृथ्वी पर उनके जीवन के बारे एक निश्चित समय सीमा निर्धारण करना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। द टेलिग्राफ में जी. एस. मुदुर के लेख में दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में खोजे गए मध्य पुरापाषाण काल के बारे एक रिपोर्ताज छपी है। जिसका संक्षिप्त विवरण निम्नांकित है।
प्रकाशम जिले के रेतलापल्ली गांव के पास की गई खुदाई में ‘मध्य-पुरापाषाण’ काल के पत्थर के औजार मिले हैं, जिनसे संकेत मिलता है कि मानव वंश के विलुप्त पूर्वजों ने भी पत्थर से औजार बनाने की कला सीखी थी। आंध्र प्रदेश में मिले ये 139,000 साल पुराने औजार इस धारणा को चुनौती देते हैं कि केवल आधुनिक मनुष्य ही ऐसे परिष्कृत औजार बना सकते थे, और यह औजार बनाने वालों की पहचान को और रहस्यमय बनाता है।
महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अनिल देवरा, जिन्होंने इस उत्खनन का नेतृत्व किया, ने बताया कि रेतलापल्ली में औजार बनाने वालों की पहचान अभी तक एक रहस्य बनी हुई है। उनके और सहयोगी संस्थानों के निष्कर्ष हाल ही में पीएलओएस वन पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
यह रहस्य तब और गहरा गया जब करीब दो दशक पहले अत्तिरमपक्कम में इसी तरह के औजार मिले थे, जिनकी उम्र 372,000 से 170,000 वर्ष आंकी गई थी। आनुवंशिक साक्ष्य बताते हैं कि आधुनिक मनुष्य 60,000 से 70,000 साल पहले अफ्रीका से बाहर निकले थे, लेकिन आंध्र प्रदेश के ज्वालापुरम में 77,000 साल पुराने औजार मिले, जिससे भारत में होमो सेपियंस की प्राचीनता 125,000 साल पहले की हो सकती है। इससे पहले भी भारत में 1.5 मिलियन साल पुराने औजार मिले हैं, जो होमो इरेक्टस द्वारा बनाए गए थे।
देवरा के अनुसार, ऐचुलियन औजार मध्य-पुरापाषाण औजारों से पुराने और बड़े होते हैं, जबकि मध्य-पुरापाषाण औजारों में पूर्व-निर्धारित योजना के साक्ष्य मिलते हैं। ये औजार आधुनिक मनुष्यों के आगमन से पहले भी बने हो सकते हैं, जिससे यह अनुमान लगता है कि एक ही तकनीक अलग-अलग प्रजातियों में स्वतंत्र रूप से विकसित हुई होगी।
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