20 दिसंबर तक लौट सकते हैं मलेशिया में फंसे झारखंडी

NehNews Network

20 दिसंबर तक लौट सकते हैं मलेशिया में फंसे झारखंडी

20 दिसंबर तक लौट सकते हैं मलेशिया में फंसे झारखंडी

20 दिसंबर तक लौट सकते हैं मलेशिया में फंसे झारखंडी

भारत से मलेशिया की एक कंपनी में कार्य करने गए झारखंडी मजदूरों को भारत सरकार के प्रयास से वापस लाया जा रहा है। 20 दिसंबर तक लौट सकते हैं मलेशिया में फंसे झारखंडी। झारखंड के हजारीबाग, गिरीडीह, बोकारो के मजदूर ओडिसा, उत्तर प्रदेश, तेलांगना के मजदूर मलेशिया की एक कंपनी मास्टर इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन SDN BHD कंपनी में काम करने गए थे।  2023 से इन्हें कंपनी सैलरी दे रही थी, लेकिन पिछले तीन महीने से उन्हें सैलरी और अन्य सुविधाएँ नहीं देने के कारण मजदूरों की आर्थिक हालत खराब हो गई थी और वे कंपनी के अंदर ही धरना देकर बैठ गए थे।

खराब स्थिति से गुजरने पर वे भारत में अपने परिवारों को अपनी स्थिति से अवगत कराए। जिसके फलस्वरूप घरवालों ने सांसदों से संपर्क करके उन्हें भारत वापस लाने का अनुरोध किया। सांसदों ने भारत सरकार को इसके बारे खबर किए और आवश्यक व्यवस्था करने का अनुरोध किया। सरकार ने कुआलालंपुर स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क करके उन्हें सहायता पहुँचाया।

उन्हें कंपनी की जगह से निकाल कर दूतावास में रखा गया है। आवश्यक कानूनी खानापूर्ति करके उन्हें 20 दिसंबर तक भारत वापस लेने की बात है। इस संबंध में भारत सरकार ने संसद में बताया है- सभी मजदूरों को मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर स्थित भारतीय दूतावास में रखा गया है। कुछ कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा रही है। इसके बाद तय तिथि पर इन मजदूरों को देश वापस लाया जाएगा।

अक्सर विदेशी कंपनियाँ सस्ते और कुशल मजदूरों की जरूरत के लिए भारत से मजदूरों को विदेश लेकर जाते हैं, लेकिन काम समाप्त होने पर वे उन्हें बेसहारा छोड़ देते हैं। मजदूरों को विदेश में ले जाने वाली एजेंसियाँ भी उनकी देखभाल नहीं करती है, क्योंकि उसे तो बस मजदूरों की खोज करने, उन्हें नियमित कार्य स्थलों में पहुंचाने तक की ही जिम्मेदारी मिली होती है और इसके लिए उसे भुगतान मिल चुका होता है।

वे आगे की जिम्मेदारी लेने से इंकार कर देते हैं। मजदूरों की नियुक्त किसी ठेकेदार के माध्यम से नियत कार्य के लिए किया जाता है। जब एक बार कार्य खत्म हो जाता है और कंपनियों को मजदूरों की कोई आवश्यकता नहीं होती है तो वह ठेकेदार को उन्हें वापस लेने के लिए कहती है, लेकिन ठेकेदारों के पास कोई काम नहीं होने पर वे मजदूरों को बेसहारा छोड़ देते हैं। हालांकि विदेशों में कार्य करने के लिए जाने वाले मजदूरों की नियुक्त, पारगमन और अन्य शर्तों के लिए सरकार ने पहले ही नियम और कायदे बना कर रखा है। लेकिन देखा जाता है कि इन नियम कायदों की धज्जियाँ उड़ाई जाती है।  आईए देखते हैं कि विदेश जाने के लिए किन नियम और शर्त बनाए गए हैं।

Malaysia-1-300x200 20 दिसंबर तक लौट सकते हैं मलेशिया में फंसे झारखंडी
कुआलालंपुर मलेशिया

मजदूर भारत से कैसे जाते हैं विदेश

विदेश में अस्थायी पदों के लिए भारत से कुशल श्रमिकों की भर्ती में एक संरचित प्रक्रिया शामिल है जिसमें विभिन्न समझौते और सरकारी निगरानी शामिल है।

भर्ती प्रक्रिया
नौकरी की पहचान- नियोक्ता कुशल श्रमिकों की आवश्यकता की पहचान करते हैं और भरे जाने वाले विशिष्ट पदों का निर्धारण करते हैं।

स्थानीय कानूनों का अनुपालन- नियोक्ताओं को भारतीय श्रम कानूनों और उस विदेशी देश के कानूनों का अनुपालन करना चाहिए जहाँ श्रमिकों को नियोजित किया जाएगा। इसमें अक्सर आवश्यक परमिट प्राप्त करना और यह सुनिश्चित करना शामिल होता है कि नौकरी की पेशकश कानूनी वेतन मानकों को पूरा करती है।

भर्ती एजेंसियों की नियुक्ति- कई कंपनियाँ भर्ती प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए भर्ती एजेंसियों को नियुक्त करती हैं। ये एजेंसियाँ उम्मीदवारों को खोजने, साक्षात्कार आयोजित करने और कागजी कार्रवाई का प्रबंधन करने में मदद करती हैं।

आवेदन प्रस्तुत करना- भर्ती एजेंसी विदेशी श्रमिकों को काम पर रखने के लिए अनुमोदन प्राप्त करने के लिए विदेशी देश में संबंधित सरकारी निकायों को आवेदन प्रस्तुत करती है।
वीज़ा प्रसंस्करण- एक बार अनुमोदन प्राप्त हो जाने के बाद, चयनित उम्मीदवारों के लिए वीज़ा आवेदन संसाधित किए जाते हैं, जिसमें चिकित्सा परीक्षाएँ और पृष्ठभूमि जाँच शामिल हो सकती हैं।

निष्पादित किए गए समझौते
भर्ती प्रक्रिया के दौरान, कई समझौते निष्पादित किए जाते हैं:-
रोजगार अनुबंध- यह अनुबंध वेतन, नौकरी की ज़िम्मेदारियों, रोजगार की अवधि और लाभों सहित रोजगार की शर्तों को रेखांकित करता है।
भर्ती एजेंसी के साथ सेवा समझौता- यह समझौता उन शर्तों का विवरण देता है जिनके तहत भर्ती एजेंसी काम करती है, जिसमें उम्मीदवार की नियुक्ति के संबंध में शुल्क और दायित्व शामिल हैं।
अनुपालन समझौते- इनमें ऐसे खंड शामिल हो सकते हैं जो भारत और मेजबान देश दोनों में श्रम कानूनों का पालन सुनिश्चित करते हैं।

अपनी मनपसंद सामान AMAZON.IN से ऑनलाईन खरीदें। मूल्य की जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें। 

Fashion-Image-225x300 20 दिसंबर तक लौट सकते हैं मलेशिया में फंसे झारखंडी
Kurta with Pant
Toy-3-300x300 20 दिसंबर तक लौट सकते हैं मलेशिया में फंसे झारखंडी
Woman Marks
Untitled-design-21-300x298 20 दिसंबर तक लौट सकते हैं मलेशिया में फंसे झारखंडी
Earphone

सरकारी निगरानी
भारत सरकार निम्नलिखित के माध्यम से विदेशी रोजगार को विनियमित करने में भूमिका निभाती है:-
प्रवास मंजूरी- कामगारों को विदेश में काम करने के लिए भारत छोड़ने से पहले प्रोटेक्टर जनरल ऑफ इमिग्रेंट्स (PGE) से प्रवास मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती है। यह सुनिश्चित करता है कि उनका शोषण नहीं किया जा रहा है और उनके अधिकारों की रक्षा की जाती है।

भर्ती प्रथाओं की निगरानी- सरकार धोखाधड़ी की प्रथाओं को रोकने और श्रमिकों के साथ उचित व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए भर्ती एजेंसियों की निगरानी करती है।

रोजगार संबंधी मुद्दों के लिए जवाबदेही
जब कंपनियाँ विदेशी कर्मचारियों को वेतन या सुविधाएँ प्रदान करने में विफल रहती हैं, तो जवाबदेही जटिल हो सकती है:-
नियोक्ता की जिम्मेदारी- प्राथमिक जिम्मेदारी उस नियोक्ता की होती है जिसने कर्मचारियों को अनुबंधित किया है। यदि वे वेतन देना या सहमत सुविधाएँ प्रदान करना बंद कर देते हैं, तो उन्हें भारत और मेजबान देश दोनों में श्रम कानूनों के तहत उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।

भर्ती एजेंसी की भूमिका- यदि कोई भर्ती एजेंसी नौकरी की शर्तों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने या श्रम कानूनों के अनुपालन को सुनिश्चित करने में विफल रही है, तो वे कुछ दायित्व साझा कर सकते हैं।
श्रमिकों के लिए कानूनी उपाय: यदि कर्मचारी शोषण या भुगतान न किए जाने का सामना करते हैं, तो वे श्रम न्यायालयों या दूतावासों के माध्यम से कानूनी उपाय कर सकते हैं। हालाँकि, स्थानीय कानूनों और प्रवर्तन तंत्रों के आधार पर यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

संक्षेप में, भारत से कुशल श्रमिकों की भर्ती में कानूनी समझौतों और नियामक निरीक्षण द्वारा शासित एक विस्तृत प्रक्रिया शामिल है। जबकि नियोक्ता रोजगार की शर्तों के लिए प्राथमिक जिम्मेदारी वहन करते हैं, भर्ती एजेंसियाँ भी अनुपालन सुनिश्चित करने और श्रमिकों के साथ उचित व्यवहार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन तमाम नियम और कायदों के बीच भी मजदूरों के साथ धोखाधड़ी होना आम बात हो गई है। लेकिन इस बार मलेशिया में गए सभी लोग लौटेंगे, संसद में बताया गया कि   20 दिसंबर तक लौट सकते हैं मलेशिया में फंसे झारखंडी।

Share this content:

Post Comment

You May Have Missed

error: Content is protected !!
Skip to content