अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, 2024′ पारित
पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य विधानसभा में ‘अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, 2024’ पारित किया है। इस विधेयक में बलात्कार के मामलों की समयबद्ध सुनवाई और दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान शामिल है। ममता बनर्जी की सरकार ने यह कदम राज्य में महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया, विशेष रूप से एक हालिया घटना के बाद जिसमें एक डॉक्टर के साथ क्रूर बलात्कार और हत्या हुई थी। इस विधेयक में बलात्कार के दोषियों के लिए कठोर सजा और बाल अपराधियों के लिए रियायतें खत्म करने का भी प्रस्ताव है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने ‘अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, 2024’ नामक बलात्कार विरोधी संशोधन विधेयक पारित किया है, जिसमें बलात्कार जैसे यौन अपराधों के लिए दंड में संशोधन करने और बलात्कार के मामलों में जांच और सुनवाई के समापन के लिए समयबद्ध सीमाएँ लगाने की मांग की गई है।
यह विधेयक 5 सितंबर, 2024 से लागू होने वाला है।
यह विधेयक राज्य में “महिलाओं और बच्चों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने” का प्रस्ताव करता है और बलात्कार के लिए पहले से ही प्रचलित दंड को बढ़ाने का प्रयास करता है, जैसा कि भारत न्याय संहिता (बीएनएस) में निर्धारित किया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बलात्कार के दोषी पाए जाने वालों के लिए मृत्युदंड की संभावना सहित दंड को और अधिक कठोर बनाया जा सके।
ममता बनर्जी की अगुआई वाली सरकार ने यह कदम सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक रेजिडेंट डॉक्टर के साथ हुए क्रूर बलात्कार और हत्या के कारण राज्य एवं देश में पैदा हुए बड़े पैमाने पर अशांति के मद्देनजर उठाया है, जिसके कारण पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। नए पेश किए गए विधेयक के अनुसार, यह BNS, 2023 की विभिन्न धाराओं में संशोधन करना चाहता है, जो बलात्कार, बलात्कार और हत्या, सामूहिक बलात्कार, बार-बार अपराध करने, पीड़ित की पहचान का खुलासा करने और यहां तक कि एसिड का उपयोग करके चोट पहुंचाने आदि के लिए दंड से संबंधित हैं। यह बलात्कार के अपराध में दोषी पाए गए बाल अपराधियों के लिए BNS के तहत रियायतों को छोड़ने का भी प्रस्ताव करता है। यह राज्य की अपने नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के मौलिक अधिकारों को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है कि बच्चों के खिलाफ बलात्कार और यौन अपराधों के जघन्य कृत्यों का कानून की पूरी ताकत से सामना किया जाए। विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही लागू हो सकता है।
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