क्या है संदीप घोष के ऊपर भ्रष्टाचार और धन के दुरुपयोग का आरोप?
जाँच एजेंसी सीबीआई के अनुसार कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्राचार्य डॉ. संदीप घोष ने पद पर रहते हुए पद का दुरूपयोग करते हुए कई अनियमितता भरा कारगुजारियाँ किया और नियमों का पालन किए बिना ही अस्पताल में नियुक्तियां की है।
अस्पताल में हुए डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के एक मामला सहित तथा कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक विशेष अदालत को बताया कि कॉलेज में मेडिकल हाउस स्टाफ की भर्ती की प्रक्रिया में भ्रष्टाचार किया और नियमों का पालन किए बिना नियुक्तियां कीं।
केंद्रीय एजेंसी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन करते हुए अस्पताल के ठेके अपने करीबी व्यक्तियों को देकर पद का दुरूपयोग कर रहे थे। सीबीआई ने 3 सितंबर को अलीपुर (कोलकाता) की विशेष अदालत के समक्ष उपरोक्त दलीलें दीं।
सीबीआई ने दावा किया कि संदीप घोष आरजी कार के बिप्लब सिंह और सुमन हाजरा (मुख्य विक्रेता) को तब से जानते थे, जब वे मुर्शिदाबाद कॉलेज के एचओडी के पद पर तैनात थे। घोष ने बिप्लब को टेंडर दिलाने में मदद की। दरअसल, मुर्शिदाबाद के बाद जहां भी घोष की नियुक्ति हुई, बिप्लब को अपने कॉलेज में टेंडर मिल जाते थे। बिप्लब सिंह को जानने वाला एक अन्य विक्रेता सुमन भी इस सांठगांठ का हिस्सा था।
यह भी उल्लेख किया गया कि जांच में पता चला है कि मा तारा ट्रेडर्स के मालिक बिप्लब सिंह के पास अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर कई कंपनियां थीं और वे विभिन्न नामों से टेंडर में भाग लेते थे। सीबीआई ने अदालत को यह भी बताया कि जिस तरह से संदीप घोष बिप्लब सिंह को टेंडर देते थे, वह पारदर्शी नहीं था।
सीबीआई ने संदीप घोष के निजी सहायक एसके अफसर अली का भी जिक्र किया और आरोप लगाया कि वह घोष की विभिन्न गतिविधियों को संभालता था। उनकी पत्नी नरगिस खानम को आरजी कर में एक कैफे का ठेका मिला था, जिसका नाम ईशान कैफे था और जो कैंपस के अंदर था। संदीप घोष काफी प्रभावशाली व्यक्ति रहे हैं। आरजी कर मेडिकल कालेज में बलात्कार और हत्या होने के बाद उन्होंने कालेज प्रमुख के रूप में तुरंत ईस्तीफा दे दिया था। लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें तुरंत दूसरे मेडिकल कालेज का प्रमुख नियुक्त कर दिया था।
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