सड़क की मरम्मत और निर्माण संबंधी दिशा-निर्देशन
पश्चिम बंगाल और पूरे भारत में, सड़क की मरम्मत और निर्माण कुछ दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं, जिन्हें मुख्य रूप से भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) द्वारा निर्धारित किया जाता है। यहाँ कुछ मुख्य बिंदु दिए गए हैं:
- सड़क मरम्मत के लिए दिशा-निर्देश: सड़क निरीक्षण और मूल्यांकन: क्षति की सीमा का आकलन करने के लिए सबसे पहले सड़कों का निरीक्षण किया जाता है। इसके आधार पर, मरम्मत का प्रकार निर्धारित किया जाता है – गड्ढों को भरने से लेकर पूरी तरह से फिर से सतह बनाने तक।
- सामग्री की न्यूनतम मोटाई:
- पर्यवेक्षण प्रणाली: गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पर्यवेक्षण महत्वपूर्ण है। आम प्रथाओं में शामिल हैं:
- स्थानीय लोगों को शामिल करना: सड़क मरम्मत में स्थानीय समुदायों को शामिल करने से कई लाभ हैं, जैसे:
- सड़कों की मरम्मत के लिए विनिर्देश विवरण: MoRTH विनिर्देश: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय उपयोग की जाने वाली सामग्रियों, मोटाई और मरम्मत तकनीकों का विवरण देते हुए विशिष्ट दिशा-निर्देश और मैनुअल (सड़क और पुल निर्माण के लिए MoRTH विनिर्देश) जारी करता है। स्थानीय विनिर्देश: पश्चिम बंगाल PWD सहित राज्य लोक निर्माण विभाग (PWD) भी क्षेत्र की जलवायु और यातायात स्थितियों के अनुरूप सड़क मरम्मत विनिर्देश जारी करते हैं। प्रदर्शन-आधारित अनुबंध: कुछ क्षेत्रों ने ऐसे अनुबंध पेश किए हैं जो प्रदर्शन मानकों को निर्दिष्ट करते हैं जिन्हें सड़कों को मरम्मत के बाद पूरा करना होगा, जिसमें स्थायित्व, चिकनाई और जल निकासी प्रदर्शन शामिल हैं। स्थानीय भागीदारी, प्रभावी पर्यवेक्षण और विनिर्देशों का पालन यह सुनिश्चित करता है कि सड़क की मरम्मत टिकाऊ हो और सुरक्षा मानकों के अनुरूप हो।
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