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ईरान के तेल रिफाईनरी और परमाणु साईट को नुकसान नहीं पहुँचाने की कुटनीति

ईरान के तेल रिफाईनरी और परमाणु साईट को नुकसान नहीं पहुँचाने की कुटनीति

इज़रायल ने शनिवार की सुबह मुँह अंधेरे ईरान में कई सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए। जिसके परिणामस्वरूप कम से कम दो ईरानी सैनिक मारे गए। इज़रायल हमले में ईरान के तेल रिफाईनरी और परमाणु साईट को नुकसान नहीं पहुँचने की पुष्टि ईरान द्वारा की गई है। 

 इज़रायल द्वारा  इस ऑपरेशन को ‘पश्चाताप के दिन’ कहा गया, जिसे इज़राइल ने ईरान की ओर से मिसाइल हमले का प्रतिशोध बताया। इस हमले के बाद मध्य पूर्व में व्यापक संघर्ष की आशंकाएँ बढ़ गई हैं। हमले की कार्रवाई करीबन चार घंटे तक चली। इसके बाद तेहरान को चेतावनी देते हुए, इज़राइल ने कहा कि अगर उसने नवीनतम हमलों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की तो उसे “भारी कीमत चुकानी पड़ेगी”। 

संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन ने ईरान से हमले पर आगे बढ़ने और स्थिति को जटिल बनाने से बचने का आग्रह किया। इज़रायल ने इस कार्रवाई को ईरान द्वारा 1 अक्तुबर को 200 मिसाईल से किए गए हमले का आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई बताया है। 

ईरानी मिसाईल हमले के बाद बदला लेने की इज़रायली बयान पर संयुक्त राज्य अमेरिका ने अनुरोध किया था कि इजरायल कई रणनीतिक चिंताओं के कारण इजरायल पर हमास के हालिया हमलों के प्रतिशोध में ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला करने से परहेज करे। अमेरिका तनाव को बढ़ने से रोकने के लिए संयम बरतने का आग्रह कर रहा है, जिसके क्षेत्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। इज़रायल ने मिसाईल हमले पर हैरतअंगेज भरे बदला लेने की घोषणा की थी। समझा जा रहा था कि इज़रायल ईरान के परमाणु स्थलों को निशाना बनाएगा और ईरान को अपूर्णनीय क्षति पहुँचाएगा। इसलिए ईरान के परमाणु स्थलों पर हमले न करने के लिए किए गए अमेरिकी अनुरोध के कई कारण रहे हैं। 

 अमेरिकी अनुरोध के कारण – 

ईरान की परमाणु सुविधाओं पर इजरायली हमला मध्य पूर्व में तनाव को काफी हद पूरे क्षेत्र तक बढ़ा सकता है, जिससे संभावित रूप से कई देशों को शामिल करने वाला व्यापक संघर्ष हो सकता है। यह वृद्धि क्षेत्र को और अस्थिर कर सकती है, जिससे अमेरिकी हितों और सहयोगियों पर असर पड़ सकता है। बड़े पैमाने पर होने वाले किसी भी संघर्ष की आंच पूरे विश्व में फैल सकता है और इसकी संभावित क्षति से पूरे विश्व के अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकते हैं। 

ईरानी तेल रिफाइनरियों और परमाणु स्थलों पर हमला करने से वैश्विक तेल आपूर्ति बाधित हो सकती है, विशेष रूप से होर्मुज जलडमरूमध्य के माध्यम से, जो तेल निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण शिपिंग मार्ग है। इस तरह के व्यवधानों से तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं, जिसका दुनिया भर में गंभीर आर्थिक प्रभाव पड़ेगा, जिसमें अमेरिका भी शामिल है। यह प्रभाव आर्थिक मंदी की ओर भी बढ़ा सकती है। इससे विश्व जनमत इज़रायल के खिलाफ हो सकता है और विश्व के देश इस पर निश्चित कार्रवाई के लिए दबाव डाल सकते हैं और इसका प्रतिकूल असर इज़रायल पर पड़ सकता है। ईरानी तेल रिफाइनरियों और परमाणु स्थलों पर हमला करने से रूस और अन्य शक्तिशाली देशों द्वारा सीधी कार्रवाई में शामिल होने का खतरा बढ़ सकता है। यह तृतीय विश्वयुद्ध की ओर स्थिति को धकेल सकता है। 

 राजनयिक संबंध: ईरान के खिलाफ सैन्य हमला अमेरिका को क्षेत्र में अपने सहयोगियों से अलग थलग कर सकता है, विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे देशों से, जिनके ईरान के साथ जटिल संबंध हैं। यह अमेरिका-चीन संबंधों को भी जटिल बना सकता है, क्योंकि चीन ईरानी तेल का एक प्रमुख आयातक है।  

इजरायली हमले के संभावित परिणाम

यदि इजरायल ईरानी परमाणु स्थलों या तेल रिफाइनरियों पर हमला करता है, तो ईरान ने बलपूर्वक जवाब देने की कसम खाई है। इस जवाबी कार्रवाई में इजरायली लक्ष्यों के खिलाफ मिसाइल हमले या होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का प्रयास भी शामिल हो सकता है, जिससे वैश्विक तेल आपूर्ति गंभीर रूप से प्रभावित होगी।

 

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