असम सरकार की कड़ी नज़र है चाय श्रमिकों के बोनस भुगतान पर
पश्चिम बंगाल के उलट असम सरकार की कड़ी नज़र है चाय श्रमिकों के बोनस भुगतान पर। इस संबंध में चाय क्षेत्र से विधायक और चाय जनजाति एवं श्रम कल्याण मंत्रालय का मंत्री का पदभार संभाल रहे राज्य मंत्री संजय किसान ने सभी चाय बागानों से दुर्गा पूजा के त्यौहार से पहले श्रमिकों को बोनस देने का आग्रह किया है।
असम के अखबार सेंटिनल ने इस बारे खबर प्रकाशित किया है। खबरों में कहा गया है कि मंत्री ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगर कोई बागान ऐसा बोनस नहीं देता है तो कानून के अनुसार दोषी चाय बागान के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इधर पश्चिम बंगाल के शासन से चाय अंचलों में मजदूरों के कम बोनस पर हो रहे विरोध आंदोलन पर अब तक कोई बयान नहीं आया है। चाय क्षेत्र से बने विधायकों और सांसदों का भी डुवार्स के चाय बागानों में हो रहे विरोध आंदोलन पर अभी तक कोई बयान नहीं आया है जबकि श्रमिकों में कम बोनस को लेकर गहरा असंतोष है और समस्या का समाधान न होते देख कर इससे श्रमिकों में हताशा छायी हुई है।
पश्चिम बंगाल की तरह ही भारत के सबसे बड़े चाय उत्पादक राज्य असम में चाय श्रमिकों के लिए हर साल त्यौहार दुर्गा पूजा के अवसर पर बोनस मिलना एक परंपरा रही है। इस त्यौहार के दौरान राज्य के चाय बागानों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए यह उल्लास और उत्सव का समय होता है, जो इस साल 9 अक्टूबर से शुरू हो रहा है।
द सेंटिनल में प्रकाशित खबरों के अनुसार अखबार से बात करते हुए मंत्री संजय किसान ने कहा, “पिछले कुछ सालों से ज़्यादातर चाय बागान अपने कर्मचारियों को 20% बोनस दे रहे हैं। हर साल कर्मचारी बेसब्री से बोनस का इंतज़ार करते हैं। इस बार भी हमने चाय बागानों से 20% बोनस देने का अनुरोध किया है। हमारे विभाग को मिली जानकारी के अनुसार, कई चाय बागान पूजा के लिए 20% बोनस देने पर सहमत हो गए हैं। हालांकि, कुछ चाय बागान 20% बोनस देने पर आपत्ति जता रहे हैं। उदाहरण के लिए, असम में करीब 30 चाय बागानों वाली चाय कंपनी मैकलियोड रसेल ने 20% बोनस देने पर सहमति जताई है। इसी तरह, हमारे असम चाय निगम (ATC) ने भी ATC के वित्तीय रूप से अच्छा प्रदर्शन न करने के बावजूद कर्मचारियों को मिलने वाला 20% बोनस देने का फ़ैसला किया है। ATC के कर्मचारियों को समय पर बोनस मिलेगा। हमने इस मामले को वित्त विभाग के सामने उठाया है। बोनस का भुगतान DBT मोड में किया जाएगा।” मंत्री ने यह भी कहा कि असम में कई चाय बागानों वाली एंड्रयू यूल चाय कंपनी ने अपनी वित्तीय स्थिति के कारण 20% बोनस के भुगतान की पुष्टि नहीं की है। मंत्री ने आगे कहा कि कुछ चाय बागानों ने श्रमिकों को बोनस का भुगतान पहले ही शुरू कर दिया है। कुछ बागानों ने श्रमिक संघों के साथ परामर्श के बाद दो किस्तों में 20% बोनस का भुगतान करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, “चूंकि बोनस चाय श्रमिकों के बीच एक संवेदनशील मुद्दा है, इसलिए सरकार इस मुद्दे पर कड़ी नज़र रख रही है।” 20% बोनस का मतलब एक चाय श्रमिक द्वारा एक वर्ष में अर्जित कुल मजदूरी का 20% है। इससे पहले राज्य सरकार ने चाय बागानों को 25 सितंबर तक श्रमिकों को बोनस का भुगतान करने का निर्देश दिया था।
सरकार की ओर से पहले भेजे गए पत्र में कहा गया था, “चूंकि दुर्गा पूजा अक्टूबर, 2024 के दूसरे सप्ताह में आ रही है, इसलिए अनुरोध है कि चाय बागान प्रबंधन अपनी वार्षिक बैलेंस शीट को अंतिम रूप दें और पूजा से पहले कानून के प्रावधान, यानी बोनस भुगतान अधिनियम, 1965, जिसे 2015 में संशोधित किया गया था, के अनुसार बोनस की मात्रा का निर्धारण करें। बोनस और अनुग्रह राशि (यदि कोई हो) की मात्रा/प्रतिशत घोषित करने की प्रक्रिया 15 सितंबर 2024 तक पूरी कर ली जानी चाहिए, जिसकी सूचना सभी संबंधितों को दी जानी चाहिए। किसी भी आपात स्थिति में, स्थानीय श्रम विभाग के अधिकारियों और जिला और उप-मंडल नागरिक और पुलिस प्रशासन को किसी भी मुद्दे को तुरंत और उचित तरीके से हल करने में हर संभव मदद और सहयोग देने के लिए विश्वास में लिया जा सकता है। बोनस का भुगतान 25 सितंबर, 2024 तक पूरा किया जाना चाहिए।”
पत्र में कहा गया है कि इस निर्देश और कानून के निर्धारित प्रावधान से किसी भी प्रकार का विचलन गंभीरता से लिया जाएगा। द सेंटिनल में प्रकाशित खबर पर आधारित।
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