बीएसएनएल का मास्टरस्ट्रोक, डी2डी तकनीक का परीक्षण कर लिया पूरा
बीएसएनएल ने मास्टरस्ट्रोक चाल चलते हुए, डी2डी तकनीक का परीक्षण कर पूरा कर लिया है। अपने इस मास्टरस्ट्रोक के द्वारा वह मुकेश अंबानी और भारती मित्तल जैसे संचार के बड़े खिलाड़ियों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की है। कंपनी ने बिना सिम के सैटेलाइट से माध्यम से कॉल करने की सुविधा का परिक्षण किया है।
इस तकनीक की वास्तविक शुरूआत होने और व्यापक स्तर पर कार्यान्वयन किए जाने पर देश के दूरदराज और संचार पहुँच से वंचित क्षेत्रों में उपयोगकर्ताओं को बेहतर मोबाईल कवरेज और विश्वसनीय संचार सुविधा मिलने की उम्मीद जगी है।
बीएसएनएल यानी भारत संचार निगम लिमिटेड ने वैश्विक उपग्रह संचार फर्म वियासैट के साथ मिलकर अपनी डायरेक्ट-टू-डिवाइस (डी2डी) तकनीक का परीक्षण पूरा कर लिया है। बीएसएनएल और अन्य उपयोगकर्ताओं को ध्यान देना चाहिए कि परीक्षण में खरी उतरने वाली नई तकनीक एंड्रॉइड और आईओएस स्मार्टफोन के साथ-साथ स्मार्टवॉच और बाज़ार में उपलब्ध अन्य स्मार्ट उपकरणों के साथ संगत (कंपिटेबल) है। नई तकनीक का मुख्य उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में या नेटवर्क आउटेज के दौरान भी निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करना है।
डायरेक्ट-टू-डिवाइस कनेक्टिविटी की शुरुआत के साथ, मोबाइल फोन, स्मार्टवॉच और यहां तक कि कार उपयोगकर्ता सीधे सैटेलाइट नेटवर्क से जुड़ सकते हैं। वायसैट के अनुसार, इस तकनीक को व्यक्तिगत और डिवाइस संचार दोनों का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह स्थान की परवाह किए बिना विश्वसनीय कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। सैटेलाइट संचार पर आधारित डायरेक्ट-टू-डिवाइस सेवा मोबाइल टावरों या वायर्ड (तार) कनेक्शन की आवश्यकता के बिना उपकरणों को सीधे कनेक्ट करने में सक्षम बनाती है। सैटेलाइट फोन की तरह ही, यह नई तकनीक स्मार्टफोन, स्मार्टवॉच और अन्य स्मार्ट गैजेट के बीच संचार की सुविधा प्रदान करती है। परीक्षण में, बीएसएनएल और वायसैट ने एक वाणिज्यिक एंड्रॉइड स्मार्टफोन पर नॉन-टेरेस्ट्रियल नेटवर्क (एनटीएन) कनेक्टिविटी का उपयोग करके दो-तरफ़ा मैसेजिंग और एसओएस मैसेजिंग का सफलतापूर्वक संचालन किया। परीक्षण में 36,000 किलोमीटर दूर स्थित एक उपग्रह का उपयोग करके फोन कॉल करना भी शामिल था, जो निर्बाध संचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
क्या है डी2डी तकनीक?
इसकी मुख्य विशेषताएँ डायरेक्ट कनेक्टिविटी की है। डी2डी स्थलीय एकल डिवाइस को बिना किसी टावर या तार के सीधे सैटेलाइट से कनेक्ट करने में सक्षम बनाता है, जिससे सिम कार्ड या पारंपरिक नेटवर्क की आवश्यकता के बिना ऑडियो और वीडियो कॉल की सुविधा मिलती है।
यह एंड्रॉइड और आईओएस स्मार्टफोन, स्मार्टवॉच और यहां तक कि वाहनों में उपयोग में लाए जाने वाले विभिन्न उपकरणों का समर्थन करता है। जो इसकी व्यापक प्रयोज्यता को दर्शाता है और इसे व्यक्तिगत और औद्योगिक उपयोग दोनों के लिए बहुमुखी बनाता है।
यह तकनीक 3GPP रिलीज़ 17 मानकों का पालन करती है, जिन्हें कई सैटेलाइट और मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटरों द्वारा अपनाया जा रहा है, यानी यह वैश्विक मानक अनुपालन के अनुरूप है।
प्रतिस्पर्धी परिदृश्य
बीएसएनएल की डी2डी तकनीक भारतीय दूरसंचार बाजार में प्रमुख खिलाड़ियों के लिए एक चुनौती बन गई है। यह विशेष रूप से स्पेसएक्स जैसी कंपनियों के लिए तगड़ा प्रतिस्पर्धा पेश करेगी जो भारतीय बाज़ार में प्रवेश करने की तैयारी कर रही है। स्पेसएक्स की नज़र भारतीय उपग्रह संचार के लिए भारतीय बाज़ार पर भी है। इस तकनीक का सफल प्रदर्शन बीएसएनएल को उपग्रह संचार क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण दावेदार के रूप में स्थापित करता है, जो स्थलीय नेटवर्क पर निर्भरता के बिना निर्बाध कनेक्टिविटी की पेशकश करके मौजूदा बाज़ार की गतिशीलता को बाधित कर सकता है।
प्रतिस्पर्धियों के लिए निहितार्थ
डी2डी उपग्रह कनेक्टिविटी तक पहुँचने में बाधाओं को कम कर सकता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ पारंपरिक सेवाओं की कमी है। यह प्रतिस्पर्धियों को बाज़ार हिस्सेदारी बनाए रखने के लिए अपनी रणनीतियों को नया रूप देने या अनुकूलित करने के लिए मजबूर कर सकता है। यदि बीएसएनएल की सेवा निकट भविष्य में चालू हो जाती है तो रिलांयस जैसे अन्य दूरसंचार ऑपरेटरों को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए अपनी पेशकशों को बढ़ाने या उपग्रह प्रदाताओं के साथ सहयोग करके उन्हें भी डी2डी तकनीकी को अपनाने की आवश्यकता हो सकती है।
बीएसएनएल ने पुष्टि की है कि उसके पास इस तकनीक को लागू करने के लिए सरकार से आवश्यक लाइसेंस और अनुमति हासिल हैं। यह विनियामक समर्थन यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि डी2डी सेवाओं की तैनाती राष्ट्रीय दूरसंचार नीतियों और मानकों के अनुरूप हो। संक्षेप में, वियासैट के साथ बीएसएनएल की साझेदारी और डी2डी प्रौद्योगिकी के सफल परीक्षण भारत में अभिनव संचार समाधान प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह विकास न केवल कनेक्टिविटी विकल्पों को बढ़ाता है बल्कि क्षेत्र में मौजूदा दूरसंचार दिग्गजों के लिए एक कठिन चुनौती भी पेश करता है।
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