मदारीहाट एसटी विधानसभा सीट में उपचुनाव और रंगीन वादों अश्वासनों की झड़ी

NehNews Network

मदारीहाट एसटी विधानसभा सीट में उपचुनाव और रंगीन वादों अश्वासनों की झड़ी

Neh News Network png मदारीहाट एसटी विधानसभा सीट में उपचुनाव और रंगीन वादों अश्वासनों की झड़ी

मदारीहाट एसटी विधानसभा सीट में उपचुनाव और रंगीन वादों अश्वासनों की झड़ी

अलिपुरद्वार जिले के मदारीहाट एसटी विधानसभा सीट में उपचुनाव हो रहा है और रंगीन वादों अश्वासनों की झड़ी लगी हुई है। यह उपचुनाव यहाँ के विधायक के पिछले लोकसभा चुनाव में सांसद चुने जाने से हुई खाली सीट को भरने के लिए किया जा रहा है।

मदारीहाट आदिवासी बहुल क्षेत्र है और इस विधानसभा के अन्तर्गत 24 चाय बागान हैं, जहाँ अधिकतर आदिवासी और गोर्खा श्रमिक कार्य करते हैं और वे ही यहाँ के बहुसंख्यक वोटर भी हैं। चुनाव के प्रचार के लिए प्रायः सभी पार्टी के बड़े नेतागण विधानसभा क्षेत्र में आ रहे हैं और वोटरों को लुभाने के लिए विभिन्न प्रकार के वादे कर रहे हैं और प्रलोभन दे रहे हैं। सभी नेतागण बीरपाड़ा में रेलवे ब्रिज के निर्माण के लिए वादे कर रहे हैं और अब तक इसके नहीं बनने के लिए अपने विरोधी पार्टियों पर दोष मढ़ रहे हैं। नदियों में पुल बनाने की बातें हो रही है, टोटोपाड़ा तक बस चलाने की हो रही है और यहाँ बड़ा अस्पताल और कालेज बनाने की बातें हो रही है। इसके साथ बंद चाय बागानों को खोलने, पीएफ और ग्रेज्युएटी की बातें हो रही है।  यह सब बातें राज्य में सत्ता सभाल रही पार्टी भी कह रही है और यहाँ के विधायक रहे और अब सांसद बने नेता तथा बाहर से आए हुए पक्ष और विपक्ष के सभी नेतागण भी कह रहे हैं। सत्ताधारी पार्टी के नेता कह रहे हैं कि वे क्षेत्र में गोर्खा भवन बनाएँगे और गोर्खा डेवलेपमेंट बोर्ड के चेयरमैन की नियुक्त करेंगे। पता नहीं डुवार्स में आदिवासी बोर्ड बनेंगे या नहीं और कोई आदिवासी, बंगली, बिहारी, मेच, राभा बोर्ड बनेगा या नहीं इस बारे नेतागण चुप्पी साध रखे हैं।

AMAZON ONLINE 
Click here  to check the prices and get up to 80% OFF

सभी पार्टी के नेतागण एक दो चीजेंं जिससे आम जनता का रोजमर्रा का सीधा संबंध नहीं है की बातें कर रहे हैं। लेकिन किसी भी पार्टी ने पश्चिम बंगाल के चाय बागानों में कार्य कर रहे श्रमिकों की न्यूनतम वेतन पर कोई स्पष्ट बयान जारी नहीं कर रहे हैं। दार्जिलिंग के सांसद यहाँ चुनाव में प्रचार करने आए थे और बयान करके गए कि न्यूनतम वेतन के पर केन्द्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसका कार्यान्वनय पश्चिम बंगाल में नहीं हो रहा है और यहाँ के चाय श्रमिक न्यूनतम वेतन से वंचित है। इस पर तृणमूल के राज्यसभा सांसद पूछते हैं कि यदि केन्द्र ने न्यूनतम वेतन पर कोई नोटिफिकेशन जारी किया है तो वे बताएँ कि उस नोटिफिकेशन के कार्यान्वयन में असम के चाय मजदूरों का वेतन कितना बढ़ गया है और वहाँ के श्रमिकों को कितना दैनिक वेतन मिलता है?

ऐसा लगता है कि इन नेताओं को पश्चिम बंगाल के चाय बागानों के न्यूनतम वेतन की वास्तविक स्थिति के बारे ही ख़बर नहीं है और वे वास्तविक तथ्यों पर अपनी बातें नहीं रख पाते हैं। मदारीहाट में चुनाव प्रचार कर रहे नेताओं को चाय मजदूरों के वास्तविक समस्याओं के बारे पता नहीं है, यही लग रहा है। चाय उद्योग पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा रोजगार उपलब्ध कराने वाला उद्योग है और इस उद्योग से करीबन 5 लाख से अधिक लोग सीधे और परोक्ष रूप से जुड़े हैं। पश्चिम बंगाल के वोटरों के वोट से चुनाव जीत कर नेता बने लोगों को जब चाय मजदूरों के वास्तविक समस्याओं के वास्तविक तथ्यों के बारे पता नहीं होता है तो यह बहुत चिंताजनक बात बन कर सामने आती है। चाय बागानों के मजदूरों का आर्थिक शोषण राज्य और केन्द्र सरकारों के चुप्पी के कारण लगातार किया जा रहा है और वे और उनका समाज इस आर्थिक शोषण के कारण बेहद गरीबी में जीवन यापन करने के लिए विवश हैं। राज्य सरकार के द्वारा अन्य उद्योगों के लिए वर्ष में दो बार निकाले जाने वाले न्यूनतम वेतन नोटिफिकेशन (यह चाय बागानों में लागू नहीं होता है) की गणना के अनुसार उन्हें आज की तारीख में 700 रूपये मिलते। यदि यह रूपये दैनिक मिलते तो प्रति माह उनके घर में न्यूनतम 18200 रूपये आते। करीब पाँच लाख चाय श्रमिकों को यह राशि मिलती तो प्रत्येक महीने उनके समाज को 2 खरब 26 अरब रूपये मिलता। इतने रूपये उत्तर बंगाल में प्रत्येक महीना आने से यहाँ की अर्थ व्यवस्था बदल जाएगी। लेकिन मजदूरों के इतने बड़े आर्थिक शोषण पर सभी राजनैतिक पार्टियाँ चुप्पी साधे रहतीं हैं और इसका लाभ चाय बागानों के मालिकों को मिलता है।

करीबन 9 साल से चाय मजदूरों के न्यूनतम वेतन, इसके लिए बनी सलाहकार समिति और राज्य सरकार, ट्रेड यूनियन और बागान मालिकों के असंवेदनशील व्यवहार, सोच और नीतियों के कारण अटका पड़ा हुआ है और चाय मजदूर आज भी कानून के अनुसार दिए जाने वाले न्यूनतम वेतन से वंचित हैं। राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन घोषित न किए जाने पर मजदूरों को महंगाई से बचाने के लिए किए गए 18 रूपये की अंतरवर्तीकालीन वेतन वृद्धि की घोषणा के खिलाफ चाय बागान मालिकों के एक धड़े के कोलकाता हाईकोर्ट चले जाने के कारण न्यूनतम वेतन का मुद्दा हाईकोर्ट में चला गया। कोर्ट ने श्रमिकों के न्यूनतम वेतन नहीं मिलने की बात पर राज्य सरकार को इसे छह माह में घोषित करने के लिए 1 अगस्त 2023 को आदेश दिया। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। इस बीच कोलकाता हाईकोर्ट के जलपाईगुड़ी बेंच में कोर्ट के आदेश को लागू नहीं करने के लिए राज्य सरकार के विरुद्ध किए गए आवेदन के बाद कोर्ट ने फिर से राज्य सरकार को न्यूनतम वेतन नोटिफिकेशन निकालने के लिए आदेश दिया।

लेकिन कोर्ट की बातों से बचने के लिए राज्य सरकार ने दुबारा एक नयी समिति का गठन कर दिया है और मजदूरों के प्रतिनिधियों के रूप में ट्रेड यूनियन के मुट्ठी भर नेताओं को भी इसका सदस्य नामित कर दिया। ये नेतागण बिना शिकायत या विरोध करते हुए राज्य सरकार के टालू नीतियों को सपोर्ट करते हुए इसके सदस्य बन गए। विडंबना देखिए कि इस समिति में राज्य के सत्ताधारी नेतागण और विपक्ष के नेतागण सभी इसमें शामिल हैं। यदि ये नेतागण कोलकाता हाईकोर्ट के जलपाईगुड़ी बेंच में अपने ट्रेड यूनियन की ओर से कैवियेट दायर करके कोर्ट के नियमों के अनुसार न्यूनतम वेतन के वास्तविक तथ्यों से कोर्ट को अवगत कराते तो न्यूनतम वेतन से वंचित मजदूरों को न्यूनतम वेतन के लिए पॉजिटिव आदेश आ सकता है और न्यूनतम वेतन देने की कार्रवाई शुरू हो सकती है। लेकिन क्या सत्ताधारी और क्या विपक्ष सभी के ट्रेड यूनियन के नेतागण, चुनाव में विजयी बने नेतागण और राजनैतिक पार्टियों के सर्वेसर्वा किसी ने भी चाय मजदूरों के न्यूनतम वेतन पर कोई कदम नहीं उठाया। फिलहाल चुनाव की वैतरणी पार करनी है, वोटरों के सामने वादों के झूनझूना हिलाना है और उन्हें मोहित करना है, इसलिए चुनाव प्रचार में सभी नेतागण तमाम बातें कर रहे हैं, लेकिन कोई भी चाय मजदूरों के न्यूनतम वेतन पर अपनी स्थिति पर कोई बयान जारी नहीं कर रहे हैं। भारतीय जनतंत्र में कैसे आम जनता को झूनझूना थमा कर उनका वोट हासिल किया जाता है, इसका सबसे बड़ा और धमाकेदार उदाहरण है मदारीहाट विधानसभा का उपचुनाव।

CLICK THE AMAZON.COM  LINK TO GET THE MAXIMUM OFF IN PRICES
woofer-269x300 मदारीहाट एसटी विधानसभा सीट में उपचुनाव और रंगीन वादों अश्वासनों की झड़ी
Bluetooth Subwoofer

 

Untitled-design-22-300x282 मदारीहाट एसटी विधानसभा सीट में उपचुनाव और रंगीन वादों अश्वासनों की झड़ी
Extension board
computer-keyboard-300x111 मदारीहाट एसटी विधानसभा सीट में उपचुनाव और रंगीन वादों अश्वासनों की झड़ी
Computer Keyboard
Untitled-design-21-300x298 मदारीहाट एसटी विधानसभा सीट में उपचुनाव और रंगीन वादों अश्वासनों की झड़ी
Earphone

Share this content:

Post Comment

You May Have Missed

error: Content is protected !!
Skip to content