बंगाल सरकार ने अगले वर्ष तक के लिए गुटखा और पान मसालों की बिक्री को किया बैन
पश्चिम बंगाल सरकार ने अगले एक वर्ष तक के लिए गुटखा और पान मसालों की बिक्री को राज्य में किया बैन। दिनांक 24 अक्तूबर 2024 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जारी नोटिफिकेशन नं. 681/HF/CFS/1M-6/2012 (Pt) के अनुसार राज्य के अंदर तंबाकू और या निकोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की बिक्री पर 7 नवंबर 2024 से एक वर्ष तक नहीं की जा सकती है।
अधिसूचना में तंबाकू और/या निकोटीन युक्त गुटखा और पान मसाला के निर्माण, बिक्री, भंडारण और वितरण पर भी प्रतिबंध लगाया गया है, चाहे उनकी ब्रांडिंग या नाम कुछ भी हों। यह नोटिफिकेशन प्रतिबंध खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत लागू किया गया है, जो खाद्य सुरक्षा आयुक्त को एक वर्ष की अवधि के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य के हित में ऐसे उत्पादों को प्रतिबंधित करने का अधिकार देता है।
सरकार द्वारा जारी इस अधिसूचना के पीछे प्राथमिक प्रेरणा सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा करना है। तम्बाकू और निकोटीन कैंसर और अन्य पुरानी बीमारियों सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनते हैं। सरकार का लक्ष्य अपनी आबादी के बीच इन स्वास्थ्य जोखिमों की व्यापकता को कम करना है। यह कार्रवाई खाद्य सुरक्षा और मानक विनियमों में निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप है, जो खाद्य उत्पादों में हानिकारक पदार्थों की बिक्री को प्रतिबंधित करते हैं। इस प्रतिबंध को लागू करके, सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करना चाहती है।
गुटखा के सेवन से जुड़े नकारात्मक सामाजिक और स्वास्थ्य प्रभावों, जिसमें कूड़ा-कचरा फैलाना और थूकने से संबंधित सार्वजनिक स्वच्छता संबंधी मुद्दे भी शामिल हैं, जिसके कारण इस तरह के प्रतिबंधों के पक्ष में लोगों का समर्थन भी सरकार को हासिल है।
पश्चिम बंगाल सरकार की अधिसूचना खाद्य पदार्थों में तम्बाकू उत्पादों से जुड़ी गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं को दूर करने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण को दर्शाती है, जो विनियामक उपायों के माध्यम से सामुदायिक स्वास्थ्य की रक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करती है।
पश्चिम बंगाल राज्य में इसके पूर्व भी उपरोक्त कानूनों और जनस्वास्थ्य के मद्देनज़र सरकार ने गुटखा और पान मसालों की बिक्री पर बैन लगाया गया था। इस संबंध में जनता की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है, जिसमें कई तरह की राय और भावनाएं झलकती हैं। हालांकि कई लोग प्रतिबंध के लिए आभार व्यक्त करते हैं, और इसका मुख्य कारण स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ बताते हैं। कुछ उपयोगकर्ताओं ने कहा है कि इन उत्पादों की अनुपस्थिति ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता पर सकारात्मक प्रभाव डाला है, खासकर सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से होने वाली गंदगी को कम करके। सोशल मीडिया पर टिप्पणियाँ राहत की भावना को दर्शाती हैं कि ये उत्पाद अब खरीदने के लिए उपलब्ध नहीं हैं, कुछ उपयोगकर्ता इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। आम जनता से पूछताछ करने पर कुछ लोगों की प्रतिक्रिया अलग रही है।
सरकार द्वारा नोटिफिकेशन के माध्यम से बैन लगाने के बावजूद राज्य के जनता का एक बड़ा हिस्सा प्रतिबंध के कार्यान्वयन को लेकर संशय में है। कई लोगों का मानना है कि कानूनी प्रतिबंध के बावजूद, गुटखा और पान मसाला अभी भी विभिन्न क्षेत्रों में अवैध रूप से बेचा जा रहा है। उपयोगकर्ताओं ने बताया है कि पिछले प्रतिबंधों को ठीक से लागू नहीं किया गया था, जिसके कारण इन उत्पादों की उपलब्धता जारी रहीहर गलीकूचे की दुकानों में गुटखा और पान समालों की बिक्री धड़ल्ले से की जाती है और बच्चे, महिलाओं से लेकर उम्र दराज वाले भी इसका नियमित सेवन करते हैं। जब गुटखा और पान मसालों की मांग रहेगी तो इसकी आपूर्ति भी बाजार में होगी।
जबकि इसके विक्रेता और कुछ समुदाय के सदस्य संभावित आर्थिक प्रभावों पर निराशा व्यक्त करते हैं। जो लोग इन उत्पादों को बेचते हैं, उनके लिए यह प्रतिबंध आय में कमी दर्शाता है। कुछ विक्रेताओं ने बताया है कि वे अपर्याप्त सरकारी कार्यान्वयन निगरानी के कारण प्रतिबंधित वस्तुओं को बेचना जारी रखे हुए हैं। यह न सामाजिक बल्कि सरकारी नीति और व्यवहार के बीच के अंतर को दर्शाता है। कुछ उपयोगकर्ता प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू नहीं करने के लिए सरकार की आलोचना करते हैं, उनका सुझाव है कि इससे व्यवस्था में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। जहाँ पुलिस विक्रेताओं से रिश्वत माँगती है। अन्य लोग गुटखा के सेवन से जुड़े सार्वजनिक थूकने के खिलाफ़ सख्त उपायों की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं, इस बात पर ज़ोर देते हुए कि प्रतिबंध फायदेमंद होते हैं, लेकिन उनके साथ प्रभावी प्रवर्तन रणनीतियाँ भी होनी चाहिए।
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